Thursday, September 12, 2013

मैं हूँ उन्ही में से
जिन्हें लोग सतातें हैं,
मैं हूँ उन्ही में से
जिन्हें लोग रुलाते हैं,
मैं हूँ उन्ही में से
जिन्हें लोग ठुकराते हैं,
मैं हूँ उन्ही में से
जिन्हें लोग असफल मानते हैं,
मैं हूँ उन्ही में से
जिनके साथ लोग विश्वासघात करते हैं,
मैं हूँ उन्ही में से
जिनसे लोग फायेदा उठाते हैं,
मैं हूँ उन्ही में से
जिनमे लोग सीरत नही सूरत तलाश्तें हैं,
मैं हूँ उन्ही में से
जिनकी किस्मत कभी जगती नही,
मैं हूँ उन्ही में से
जिनकी आँखें इक सच्चे साथी को तरसती हैं,……
लेकिन…….
मैं हूँ उन्ही में से जो सबको सहायक हो,
मैं हूँ उन्ही में से
जो सबको मुस्कुरातें हों,
मैं हूँ उन्ही में से,
जो सभी को अपनातें हैं,
मैं हूँ उन्ही में से जो सभी को सफल बनातें हैं,
मैं हूँ उन्ही में से ,
जो अविश्वास को भी विश्वासी बनातें हैं,
मैं हूँ उन्ही में से,
जो हर तकलीफ में मुस्कुरातें हैं,
मैं हूँ उन्ही में से,
जो किस्मत नही मेहनत जगातें हैं
मैं हूँ उन्ही में से जो साथ निबाहना जानते हैं……
हाँ मैं हूँ….वो मैं हूँ.
हुरैन फ़य्याज़