शादियाँ करने वाली एक ब्रोकर से मेरी सहेली ने मेरे लिए रिश्ता ढूंढने की बात कही, क्यूंकि वह केवल अपने धर्म के लोगों के ही रिश्ते करवाती है तब उसने सिर्फ मैं देखूंगी कहकर हामी भर दी. आज वह मुझे मिली और बोली तेरे लिए एक रिश्ता है. सुनकर मैं सिर्फ मुस्कुरा दी. मेरी मुस्कराहट को हाँ समझकर वह एकदम बोली पैसा कितना दोगे? ये सुनते ही मुझे गुस्सा नहीं आया, उस लड़के पर तरस आने लगा जो मेरे दहेज़ की कमाई से अपना और अपने परिवार का पेट पालना चाहता है. बहरहाल कुछ देर बाद मैंने पूछा वो दहेज़ क्यूँ मांग रहा है? कमाई करने के लिए उसके हाथ पाँव नहीं है क्या? उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया. भाषा की परेशानी होने की कारन मैंने सारी बात अपनी कुलीग्स के आने पर उन्हें बताई जो पहले से जानती थी कि दहेज़ के मांगने वालों को सिर्फ मैं गालियाँ दे सकती हूँ। उन सभी ने पूरी बात उन्हें बताई तब वह ताना देते हुए बोली तेरी बहिन की शादी बिना दहेज़ के हुई क्या? सुनकर मुझे उसके औरत होने पर शर्म आ रही थी।..मैंने कहा वो अपनी ज़िन्दगी में क्या फैसले लेती है ये उसकी अपनी मर्ज़ी है और खुद उसी की ज़िम्मेदारी है। वैसे भी उसके शोहर ने एक दाना भी अपने मुंह से नहीं माँगा और मुझे इस बात की बहुत ख़ुशी है कि उसके ससुराल वाले कतई लालची नहीं। सुनकर वह चुप हो गयी थी। अचानक मेरी सहेली ने मुझे बताया की वो लड़का 10 लाख रूपये मांग रहा है। तब वाकई मेरा गुस्सा चेहरे तक को लाल कर गया। मैंने कहा उस लड़के से कहना मैं शादी के लिए तैयार हूँ लेकिन शादी के बाद उसे मेरे घर आकर रहना पड़ेगा, उसे केवल घर में रहना है बहार कमाने भी मैं चली जाउंगी, और उसे दहेज़ में कुछ भी लाने की ज़रूरत नहीं। मेरे अन्दर इतनी हिम्मत है की मैं उसे पूरी ज़िन्दगी खिला पिला कर पाल सकती हूँ. और उससे कह देना चाहे तो अपने पुरे परिवार को भी साथ में ले आये। मेरे गुस्से को देखकर सब लोग खामोश हो गए थे उस ब्रोकर को देखकर में सोच रही थी कि खुद औरत होकर ये दूसरी औरत से दहेज़ मांग रही है तो भला मर्दों के नखरे क्यूँ नहीं बढ़ेंगे? और क्यूँ नहीं बढेगा उनका दहेज़ मांगने का हौंसला भी? तमतमाते चेहरे के साथ मैंने अपनी सहेली से कहा था कि मर्दों के इतने नखरे बढ़ने की वजह हम औरतें ही हैं जो उनके गलत काम में साथ देने का हौंसला भी बढाती हैं। क्यूंकि हम माँ बनकर ही अच्छे संस्कार नहीं दे पा रही हैं वरना किसी मर्द की क्या मजाल की हमारी ही कोख से जन्म लेकर, हमारी ही छाती का दूध पीकर ये मर्द हमारे ही मुंह पर दहेज़ के नाम पर हमारी ही कीमत लगायें?
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